एक देश की तरक्की, उसका विकास और सब कुछ एक अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही चल सकता है। जिस देश की मानसिक अनुपात सही नही होती उस देश का भविष्य अंधकार में चला जाता है।
एक राष्ट्र की युवा पीढ़ी यदि सही राह से भटक जाए तो वो राष्ट्रबर्बादी के रास्ते पर चला जाता है। देश का युवा ज़िन्दगी के हर रूप से प्यार करता है और जीने की इच्छा भी रखता है। आज के ये नए युवा एक देश की नाज होते हैं जिनसे ये देश चलता है और यदि यही लोग नशे के आदि हो जाएंगे तो इनके जाल में फंसकर वे पूरी तरह से देश को डूबा देंगे।
युवा की लत
नशा का हर रूप खराब है जो ज़िन्दगी में सिर्फ बर्बादी ही ला सकती है। फ़िर ये धूम्रपान हो सभी का इस्तेमाल स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है जो लोगों को बीमार कर देता है। नशे के बारे में सब जानकर भी वे अंजान हो जाते हैं और इसका सेवन करने से खुद को नही रोकते।
सरकार कई तरह से नशे के नुकसान के बारे में दिखाती आयी है जैसे तम्बाकू, खैनी व गुटखा से लोगों को मुंह का कैंसर हो सकता है। इन सब के पैकेट पर भी लिखा रहता है की खाने से कैंसर होता है तो भी लोग इसका सेवन करते है l खास करके भारत जैसे देश में इसका ज्यादे सेवन किया जाता है l कई स्थानों पर तो इन नशों को वर्जित भी करते हैं।
बर्बादी की वजह
नशे से लोग हर तरह से बर्बाद हो जाते हैं । परिवार का साथ तो छूटता ही है, दिमागी रूप से भी सन्तुलन खो देते हैं। जब नशेड़ी नशे में चूर होकर अपने घर आते हैं तब अपने परिवार से मार- पीट करते है जो कि एक बहुत बड़ा जुर्म है।
इन नशेड़ियों को यह तक पता नहीं कि जब वे नशे में धुत्त होकर सड़क पर चलते हैं तब ना तो वे सुरक्षित रहते हैं और न ही सड़क पर चलने वाले को भी सुरक्षित महसूस करते है l क्योंकि वे गाड़ी से सड़क दुर्घटना कर देते हैं।
जब कुछ लोग छोटी सी उम्र से ही नशे के लत से आदि हो जाते तब वे जीवन में हर तरह से मुसीबतों का सामना करते हैं। इससे इनके परिवार में हमेशा कलेश रहता है। फ़िर वे घर के साथ-साथ अपने नौकरी से भी हाथ धो बैठते हैं और आर्थिक तंगी से ग्रस्त हो जाते हैं।
नशा-एक जुर्म
एक इंसान की ज़िंदगी में नशे के लिए प्रेम तब उत्पन्न होता है l जब उसकी ज़िन्दगी में कुछ भी सही नहीं चल रहा तब नशे की एक बहुत बुरी फितरत होती है कि यह इंसान को धीरे-धीरे ज़िन्दगी से दूर अंधकार की तरफ धकेल देता है।
इसकी लत में इंसान फंसता चला जाता है और आखिर में उसका अंत भी बुरा होता है। एक अच्छा-खासा इंसान अपने जीवन के सभी अच्छाई को भूलकर एक नसेड़ी बनकर बुराई की ओर चला जाता है।
नशे के बुरी लत की वजह से इंसान सचाई व बुराई के बीच का अंतर भूल जाता है और अपने परिवार से धीरे-धीरे बहुत दूर चला जाता है क्योंकि वह मानसिक तौर पर खुद कुछ सोचने व समझने के काबिल नही रह पाता।
इसका कारण यह है कि इंसान को लगता है की पूरे दिन नशे की धुन में रहकर वह दुखों को भूल जायेगा। परन्तु असलियत यह नही होता।
निष्कर्ष
जो लोग ज़िन्दगी से लड़ कर थक जाते हैं और फिर नशे के आदि हो जाते हैं ऐसे व्यक्ति को ज़िन्दगी की खूबशूरती का कोई अंदाज़ा नही होता है।
ऐसे लोगों को हर तरह से हमें प्रेरित करना चाहिए कि इस तरह ज़िन्दगी की मुश्किलों से हारकर दुखों से मुँह मोड़कर भागना नही चाहिए बल्कि ज़िन्दगी को गले लगाना चाहिए। इस तरह ज़िन्दगी से हर मानकर नशे को अपनाने वाले व्यक्ति को कभी कोई लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती है।