राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान । Role of Students in Nation Building

एक विद्यार्थी के लिए सबसे बड़ी और मूल्यवान चीज़ उसकी शिक्षा है, जिसके दम पर वह पूरे राष्ट्र और उसके समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं। शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी का राष्ट्र के तरफ उसकी निष्ठा व ईमानदारी उस देश के विकास में योगदान दे देता है।

विद्यार्थी का जीवन एक पवित्रता  और सभ्यता का जीवन कहलाता है। वह अपने विद्यार्थी जीवन मे अपने अन्दर अच्छाई व संस्कारों की दीप जलाता है।

विद्यार्थी का ज्ञान और कौशल

ये एक विद्यार्थी का उसका संस्कार और कौशल ही है जो उन्हें धर्म और राष्ट्र के तरफ अपने कर्तव्य का बोध कराता है। अपने देश के लिए जो उनके कुछ कर्तव्य हैं। उनसे ही प्रेरित होकर वे अपने प्राणों का त्याग करने में भी पीछे नहीं रहते ।

उनकी भूमिका जो इस समाज के लिए है उसके द्वारा राष्ट्र को तरक्की करता हुआ देखना चाहते हैं।

अपने देश के लिए जो विद्यार्थी कुछ भी कर पाने में सक्षम होते हैं वे सब उनको दी हुई शिक्षा के वजह से होता है। एक विद्यार्थी अपनी पूरी निष्ठा से देश को समर्पित होते हैं।

राष्ट्र के तरफ योगदान

राष्ट्र के लिए यही जिमेदारी विद्यार्थीयों का कर्तव्य काफी अद्भुत व अमूल्य है, जिसका कारण यह है कि शिक्षा प्राप्ति के दौरान वह समाज और देश की सब अच्छाई व भलाई के लिए जितना हो सके उतना योगदान देता है।

इस पर प्रकाश डालते हुए हम यह देखते है की ज्ञान व राजनीति को एक साथ लेकर एक विद्यार्थी किस तरह सबका हित कर सकता है।

एक विद्यार्थी अपने अंदर की क्षमता की पहचान सिद्ध करके एक पूरे राष्ट्र के विकास व निर्माण का नेक कार्य कर सकता है ।

अपने क्षमताओं की पहचान से व्यक्ति का तेज बढ़ता है। देश में लिए प्रेम की भावना और अधिक रहेगी। फिर उस विद्यार्थी का स्वभाव राम की ही भांति दिखेगा। उसकी कला व निपुणता कृष्ण की भांति दर्शित होगी व गौतम बुद्ध की बुद्धि की तरह होगी।

शिक्षा से कर्तव्य का भान

शिक्षा के गतिविधियों में हुए मुख्य लाभ को एकत्रित करके ही एक अपने देश और उसके समाज के लिए कुछ करने का भाव व निष्ठा रख सकते हैं।

विद्यार्थी को एक सही कर्तव्यों का पालन करना याद रहना चाहिए और देश के लिए जो उनके कुछ उत्तरदायित्व होते हैं उन्हें वे निभाना चाहिए।

इससे किसी का भी हित नही विद्यार्थी जो चेतना से भरा होता है केवल वही राष्ट्र के तरफ अपना कुछ कर्तव्य समझता है, वहीं जो  विद्यार्थी आलस करते हैं वे राष्ट्र के तरफ बिल्कुल भी सच्चे व इमानदर नही होते हैं।

राष्ट्र की चुनौती

सभी देशों की अपनी व्यक्तिगत समस्याएं व चुनौतियां होती हैं जिनसे लड़ना व जूझना, किसी विद्यार्थी का दायित्व तो नहीं है, लेकिन उन दायित्व का आभास उनके मन मे ज़रूर होना चाहिए। एक देश के लिए उसकी सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद से निजात पाना है।

इन सब में विद्यार्थी को आतंकवाद के खिलाफ खड़ा नहीं होना चाहिए क्योंकि ये उनका कर्तव्य नही हालांकि उनके द्वारा किये अहित से उन्हें वाकिफ रहना चाहिए।

एक राष्ट्र को बेहतरीन निर्माण के लिए विद्यार्थी देश के खूबसूरती के उच्च वृद्धि में अपनी भुमिका दिखा सकते है।

निष्कर्ष

एक देश की रक्षा और उसकी आर्थिक विकास ही एक सरकार के लिए उसका सबसे बड़ा कर्तव्य व चुनौती होता है। किसी सत्ता के जाल में आकर राजनीति में भुमिका निभाना लेना किसी विद्यार्थी के लिए बेहतर नही सिद्ध होता।

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