व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि “ आतंकवाद की कोई राष्ट्रीयता या धर्म नहीं है। आतंकवाद के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं। जो किसी निर्दोष को मारे फिर उसके अंदर कोई मानवता या इंसानियत नहीं रह जाती।
आतंकवाद समाज का बहुत बड़ा भय है जिसका इस्तेमाल आम नागरिकों और सरकार को धमकी देने के लिये हो रहा है। देखने में आया है कि काफी सरलता से अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिये कई राजनीतिज्ञ कार्यों में आतंकवाद का इस्तेमाल हो रहा है।
आतंक–समाज के लिये अभिशाप
आतंकवाद हिंसा का वह अवैध कार्य है जिसको आतंकवाद लोगों को डराने व धमकाने के लिए करते हैं। आतंकवाद अब एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिसे हम रोज़ अखबारों व न्यूज़ में आये दिन पढ़ते देख सकते हैं। आतंकवाद शब्द की जगह कई सामाजिक समुदाय, राजनेताओं व व्यावसायिक कार्यों द्वारा अपने ज़रूरतों को काफी सरल तरीके से हासिल करने के में है।
आतंक ख्यालात रखने वाले का साथ देने वाले लोगों के एक समूह को आतंकवादी के नाम से लोगों द्वारा जाना जाता है।
आतंकवाद की बुराईओं का उल्लेख करना इतना भी सरल नहीं है कारण इसने अपनी जड़ें बहुत दूर तक फैला रखी हैं। ऐसे लोगों का कोई भी कानून नहीं होता है, वे सिर्फ अपने आसपास और अपने राष्ट्र में आतंक के स्तर में वृद्धि लाने और ज़्यादा हिंसक बनाने का उपयोग करते हैं।
मानवता का दुश्मन
मानवता और संस्कारों का यह देश आतंकवाद द्वारा बहुत नुकसान खा चुका है क्योंकि इन आतंकियों का कई समूह है जो गुप्त तरीक़े से गलत रास्तों का सहारा लेकर अपने मुताबिक कार्यों को पूरा करते हैं, हमारा देश भी पिछले कई वर्षों से आतंकवाद से निपटता आ रहा है।
यह आतंकवाद कोई बाहर से आया हुआ नहीं बल्कि हमारे ही बीच मौजूद लोगों में से हैं जो अपने ही देश का बुरा सोच रहे हैं। भारत देश में सबसे अधिक व सक्रिय आतंकवाद पाकिस्तान के सरहद पे मौजूद होता है क्योंकि आतंकवादी कई बार हमारे राष्ट्र में आने का प्रयत्न करते हैं और कई घुसपैठ के कारण मारे जाते हैं परन्तु आतंकवादी लोग कई बार बुराई फैलाने की कोशिश करते रहते हैं जिसमें यह किसी-किसी मौके पर सफल हो जाते हैं।
समाज का आम मुद्दा
हमने कुछ वर्ष पहले मुंबई ताज होटल के आतंकवादी हमले के बार में पढ़े थे जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग मारे गए, इन आतंक के ठेकेदार ने सबसे अधिक ताज होटल में लोगों को जान से मारा और यह हमला आज भी सभी लोगों के बुरे सपने से भी अधिक है।
यही वजह है कि इन देशद्रोहियों या आतंकवाद पर विराम लगाने के लिए हमारी देश की सेना हर पहर हिंदुस्तान के सीमा पर तैनात होकर रहते हैं जो आतंकवादियों को सिमा लांघने से रोकते हैं और जो ऐसा करने की कोशिश करता है उसे तुरंत मार दिया जाता है जिससे हम सभी लोग अपने देश के हमेशा सुरक्षित होकर साँस ले सकें और कहीं भी आ जा सकें।
एक आतंकवाद पूरी मानव जाति के लिए सिर्फ विनाश और नुकसान ही ला सकता है। वैसे कुछ व्यक्ति अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आतंक से जुड़ जाते हैं। फिर हर बुराई का अंजाम बुरा होता है, जो आतंकवादी संगठनों से जुड़े होते हैं वे बहुत ही खतरनाक हथियार लेकर घूमते हैं जिसकी वजह से वे कभी भी और किसी पर भी हमला कर सकते हैं।
निष्कर्ष
जो आतंक का साथ देने वाला होता है वह आतंकवादी कहलाता है और यह पूरे देश पर ब्रिटिश सरकार की तरह राज कर रहा है, औऱ हमें जिससे पूरी तरह आजाद होने की आवश्यकता है।
वैसे, ऐसा देखने में आता ही है कि आतंकवाद हमेशा अपने जड़ को बहुत ही चालाकी से पूरे विश्व मे फैलाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि अपने ग़लत और क्रूर विचारों की प्राप्ति के लिये देश के कुछ ऐसे लोग है जो अपने फायदे के लिए आतंकवाद का खुले आम सहयोग दे रहे हैं।
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