सरदार वल्लभ भाई पटेल, जिन्हें भारत के लौह पुरुष के तौर पर जाना जाता है, उनको भारत राष्ट्र को ब्रिटिश राज्य से मुक्ति व स्वतंत्र कराने के लिए बहुत बड़ा त्याग व सहयोग दिया।
वल्लभ भाई पटेल जी को सरदार का पद मिला क्योंकि उन्होंने सबसे सर्वोत्तम खूबियों की परिभाषा दी थी। उन्होंने कुछ वजहों की वजह से कई अन्य आंदोलनों में एक साथ भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता के लौह पुरुष
सन 1942 में महात्मा गांधी ने आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भूमिका निभाई थी। ऐसा कहते हैं कि आरम्भ में लौह पुरूष सरदार जी इस आंदोलन को लाना चाहते थे। इसके बाद गांधी जी ने अंत मे भारत छोड़ो आंदोलन लाये तब भी पटेल जी ने बाकी कांग्रेस अधिकारियों के मुकाबले इस आंदोलन में बहुत बड़ा सहयोग दिया।
सरदार पटेल जी गांधी जी और कई दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों के सहयोग से काम को अंजाम दिया जिससे यह तय हो सके कि आंदोलन ने ब्रिटिश राज्य को बहुत सदमा दिया और उन्हें देश से खदेड़ने में कोई कसर नही छोड़ी।
गांधी उनकी प्रेरणा
सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की प्रेरणा से स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका निभाई थी। सरदार पटेल ने इस लड़ाई में अपना प्रथम सहयोग खेड़ा लड़ाई में दिया जब खेड़ा का इलाका सुखा से ग्रस्त था और वहां के किसानों ने अंग्रेज लोगो से कर में छूट देने की इच्छा रखी थी।
जब अंग्रेज सरकार ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया तब सरदार पटेल, गांधी जी और कई और लोगों ने किसानों की भूमिका निभाई और उन्हें कर न देने के लिए मना लिया। आखिर कार सरकार को अपना सर रखना पड़ा और किसानों को कर में छूट दी।
सरदार पटेल का नामकरण
सरदार पटेल को सरदार को नाम बारडोली सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने के लिए मिला, जब बारडोली कस्बे में एक ठोस सत्याग्रह केके उद्देश्य से उन्हें स सबसे पहले बारडोली का सरदार चुना गया। उसके बाद वे सरदार के नाम से चर्चित हुए।
स्वतंत्रता की लड़ाई में भूमिका
देश के आज़ाद होने के बाद ज्यादातर प्रांतीय के लोग सरदार पटेल का समर्थन कर रही थीं। गांधी जी की यह कामना रह थी, और यही वजह थी कि सरदार पटेल ने स्वयं को प्रधानमंत्री के नही बनने बल्कि जवाहर लाल नेहरू को सहयोग दिया।
इसके अलावा वे उन्हें उपप्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री के पद पर नियुक्त किये गए, जिसके पश्चात उनकी सबसे प्रथम अहमियत देशी रियासतों को भारत में लाने का था। इस संघर्ष को वे बिना किसी युद्ध व झगड़े के सफ़लता पूर्वक किया। इसके बावजूद हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो के लिए सेना को इकट्ठा करने की आ आवश्यकता पड़ी। हालांकि देश को एक साथ देखने का जो उनका सपना था उसमें सरदार पटेल का बहुत बड़ा सहयोग रहा है।
यही वजह से वे पूरे देशवाशियों के लिए लौह पुरूष हो गए। फ़िर 15 दिसंबर 1950 को पटेल जी की मृत्यु हो गई और यह लौह पुरूष दुनिया को छोड़ गए। बैरिस्टर, पटेल जी ने रास्ट्र की स्वतंत्रता के लड़ाई में शामिल होने के लिए अपने अच्छे करियर को त्याग दिया।
वह आज़ादी के आंदोलनों में अच्छी भूमिका दिखाई तथा अपने दिल और दिमाग को पूर्ण रूप से इसके लिए झोंक दिया।
निष्कर्ष
सरदार वल्लभ भाई पटेल जो एक सफल बैरिस्टर के नाम से पूरे देश में प्रसिद्ध थे भारत के लिएस स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी अर्थात उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही थी।
वे अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए महात्मा गांधी जी और कई स्वतंत्रता के सौनिकों का साथ लेकर बहुत संघर्ष किये और फिर कामयाब हुए।